Sunday, February 7, 2010

शब्द

अक्सर मन के किसी कोने में
दफन हो जाती हैं छोटी सी आरज़ू
होठो की खामोशी, उन का गला घोट देती हैं
और फिर में सोचती हूँ ऐसा क्यूं हुआ
मन की दीवारों से टकराकर
चीखने पर भी
वो नहीं सिद्ध कर पाते अपनी सच्चाई
और एक दिन मर जाते हैं
बिना अपनी पहचान बनाए
अक्सर मैं और मेरे शब्द
दूर बादलो मैं जा कर कहीं छिप जाते हैं
ये शब्द बस ये शब्द....

4 comments:

  1. अक्सर दिल की आरजू सीने में दफ़न रह जाती है...
    दफन हो जाती हैं छोटी सी आरज़ू
    होठो की खामोशी, उन का गला घोट देती हैं..
    बहुत सुंदर...

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  2. wonderful creation...
    aap to chhupi rustam nikli.....
    congrats n best of luck for future...
    my blog is www.daastan-e-dil.blogspot.com

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  3. मन की दीवारों से टकराकर
    चीखने पर भी
    वो नहीं सिद्ध कर पाते अपनी सच्चाई
    और एक दिन मर जाते हैं
    ..waah! bahut badiya!

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  4. This one is beyond..... tooo good

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It's true the moment I saw you, i knew you were the one. Your heart was fire, like magic, an arrow shot from a gun. Your eyes, ...