इंतज़ार...
मेरी आँखों का इंतज़ार, इंतज़ार रह गया
वो कुछ ना कह कर भी सब कुछ कह गया
सीने में छुपा दर्द जब लफ्ज़ो में पिरोया मैंने
वो मेरा हाले दिल समझ ना पाया और रूठ के चला गया
सब कुछ भुला के मैंने उससे वफायें की हैं
ना जाने क्या सोच के वो दिल को दुखा गया
मोहब्बत के बदले बस मोहब्बत ही तो माँगी थी मैंने
वो ये समझ ना पाया और दूर हो गया
माना था जिसको रहबर, समझा था जिसको माही
औरो की तरह वो भी बेगाना हो गया
अपने गमो की मैंने तशवीश ना की कभी
मेरे गमो से हमेशा वो अनजान रह गया
यादो के साए उसके मेरे पास रह गए
फिर ना मिलेगा मुझसे वो कह कर चला गया...