इंतज़ार...
मेरी आँखों का इंतज़ार, इंतज़ार रह गया
वो कुछ ना कह कर भी सब कुछ कह गया
सीने में छुपा दर्द जब लफ्ज़ो में पिरोया मैंने
वो मेरा हाले दिल समझ ना पाया और रूठ के चला गया
सब कुछ भुला के मैंने उससे वफायें की हैं
ना जाने क्या सोच के वो दिल को दुखा गया
मोहब्बत के बदले बस मोहब्बत ही तो माँगी थी मैंने
वो ये समझ ना पाया और दूर हो गया
माना था जिसको रहबर, समझा था जिसको माही
औरो की तरह वो भी बेगाना हो गया
अपने गमो की मैंने तशवीश ना की कभी
मेरे गमो से हमेशा वो अनजान रह गया
यादो के साए उसके मेरे पास रह गए
फिर ना मिलेगा मुझसे वो कह कर चला गया...
Very well written.....kahan se milte hain ye shabd aapko....great idea n great execution.
ReplyDeleteवाह क्या बात है शीबा...मज़ा आ गया पढ़ कर...एक शेर याद आ गया-
ReplyDeleteउसकी याद में हम बरसो रोते रहे,
बेवफा वो निकले बदनाम हम होते रहे...
प्यार में मदहोशी का आलम तो देखिये,
धुल चहरे पे थी और हम आइना धोते रहे...
दिल की बात सीधे साधे शब्दों में कह जाना कोई खेल नहीं बावजूद इसके आपने वो कम बखूबी किया है इसके लिए केवल वाह वाह ही निकल रहा है |इस तरह के शब्दों से लिखी गयी खुशबूदार जिंदगी के रंग को चुने का मौका देने लिए भी शुक्रिया शीबा जी बोहत बोहत शुक्रिया
ReplyDeleteमेरी आँखों का इंतज़ार, इंतज़ार रह गया
ReplyDeleteवो कुछ ना कह कर भी सब कुछ कह गया
...bahut badiya jajbaton ko sundar dhang se pesh kiya hai aapne...
Haardik shubhkamnayen!
Thanks aloooot for appreciating...
ReplyDeleteZaroori To Nahin Jeene Ke Liye Sahara Ho
ReplyDeleteZaroori To Nahin Hum Jinke Hain Vo Hamara Ho
Kuch Kashtiyaan Doob Bhi Jaati Hain…
Zaroori To Nahin Ke Har Kashti Ka Koi Kinara Ho….
Well said Ishant...very nice and meaningful lines.
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