शब्द
अक्सर मन के किसी कोने में
दफन हो जाती हैं छोटी सी आरज़ू
होठो की खामोशी, उन का गला घोट देती हैं
और फिर में सोचती हूँ ऐसा क्यूं हुआ
मन की दीवारों से टकराकर
चीखने पर भी
वो नहीं सिद्ध कर पाते अपनी सच्चाई
और एक दिन मर जाते हैं
बिना अपनी पहचान बनाए
अक्सर मैं और मेरे शब्द
दूर बादलो मैं जा कर कहीं छिप जाते हैं
ये शब्द बस ये शब्द....
अक्सर मन के किसी कोने में
दफन हो जाती हैं छोटी सी आरज़ू
होठो की खामोशी, उन का गला घोट देती हैं
और फिर में सोचती हूँ ऐसा क्यूं हुआ
मन की दीवारों से टकराकर
चीखने पर भी
वो नहीं सिद्ध कर पाते अपनी सच्चाई
और एक दिन मर जाते हैं
बिना अपनी पहचान बनाए
अक्सर मैं और मेरे शब्द
दूर बादलो मैं जा कर कहीं छिप जाते हैं
ये शब्द बस ये शब्द....
अक्सर दिल की आरजू सीने में दफ़न रह जाती है...
ReplyDeleteदफन हो जाती हैं छोटी सी आरज़ू
होठो की खामोशी, उन का गला घोट देती हैं..
बहुत सुंदर...
wonderful creation...
ReplyDeleteaap to chhupi rustam nikli.....
congrats n best of luck for future...
my blog is www.daastan-e-dil.blogspot.com
मन की दीवारों से टकराकर
ReplyDeleteचीखने पर भी
वो नहीं सिद्ध कर पाते अपनी सच्चाई
और एक दिन मर जाते हैं
..waah! bahut badiya!
This one is beyond..... tooo good
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